Can Pharmacist become IAS in Hindi

क्या फार्मासिस्ट आईएएस बन सकता है?, Can Pharmacist become IAS?

क्या फार्मेसी का विद्यार्थी आईएएस बन सकता है?

“Bhagyashree Vispute had topped all four years of B.Pharm exams before cracking UPSC CSE 2016” ये खबर पुरानी है और भाग्यश्री ने अब जिला कलेक्टर बनकर कार्यभार भी संभाल लिया है.

हर वर्ष काफी लोग इस परीक्षा को पास करते हैं और उन्हें नियुक्ति भी मिल जाती है, तो फिर इस खबर में ऐसा नया क्या है कि इसका जिक्र यहाँ किया जा रहा है?

इस खबर की सबसे बड़ी खास बात भाग्यश्री की क्वालिफिकेशन है. भाग्यश्री फार्मेसी ग्रेजुएट (बी फार्म) है. एक बी फार्म डिग्री होल्डर का आईएएस परीक्षा को पास करना ही इस खबर को अनूठा बनाता है क्योंकि अमूमन फार्मेसी फील्ड के लोग इस दिशा में सोचते ही नहीं है.

भारत में सिविल सर्विसेज को पास करने वाले फार्मेसी ग्रेजुएट्स की संख्या उँगलियों पर गिनी जा सकती है और शायद हो सकता है कि ये संख्या दो डिजिट में भी ना जाए.

दरअसल इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि फार्मेसी ग्रेजुएट्स सिर्फ फार्मेसी के अवसरों को ही अपने लिए मानते हैं. ये लोग कुएँ के मेंढक की तरह फार्मेसी फील्ड के मेंढक बने हुए हैं.

शायद इसी लिए फार्मेसी में पीएचडी और मास्टर डिग्री होल्डर कैंडिडेट भी डिप्लोमा क्वालिफिकेशन की फार्मासिस्ट जॉब के लिए अनवरत प्रयासरत रहता है. हाईएस्ट क्वालिफिकेशन होल्डर का लोवेस्ट क्वालिफिकेशन होल्डर के साथ कम्पटीशन में खड़ा होना बड़ा रोचक और दुर्भाग्यपूर्ण है.

ये हाईएस्ट क्वालिफिकेशन के लोग लोअर क्वालिफिकेशन की जॉब के लिए जी जान से तैयारी करते हैं और जब इनकी फार्मासिस्ट के रूप में जॉब लग जाती है तो समझो जीवन सफल हो जाता है.

आखिर क्या कारण है कि एक फार्मेसी ग्रेजुएट, फार्मेसी फील्ड के अतिरिक्त किसी अन्य फील्ड के सम्बन्ध में क्यों नहीं सोचता है? क्या फार्मेसी की पढाई को इंजीनियरिंग की पढाई की तरह से नहीं लिया जा सकता है?

क्या एक इंजीनियरिंग ग्रेजुएट की तरह बी फार्म की पढाई के साथ-साथ अन्य फील्ड की तैयारी नहीं की जा सकती है?

अगर साथ-साथ अन्य तैयारी नहीं की जा सकती है तो मेरे हिसाब से इसके मात्र दो ही कारण है कि या तो हम अपने फील्ड में रोजगार के प्रचुर अवसर देखते हैं या फिर हम अपने आपको अन्य क्षेत्र के कम्पटीशन के योग्य नहीं मानते हैं.

शायद हम फार्मेसी ग्रेजुएट्स के अतिरिक्त अन्य ग्रेजुएट्स से मुकाबला करते समय घबराते हैं? कहीं यह डर इन्फीरियर काम्प्लेक्स को तो नहीं दर्शाता है?

पहला कारण तो कदापि सत्य नहीं हो सकता है तो फिर क्या दूसरा कारण ही सत्य है? लगता तो यही है क्योंकि फार्मेसी का विद्यार्थी अपनी पढाई को पूर्ण उत्साह के साथ नहीं करता है.

बहुत से विद्यार्थी तो ऐसे कॉलेज में प्रवेश लेने की चेष्टा करते हैं, जहाँ उन्हें कॉलेज कम से कम या बिलकुल ही नहीं अटेंड करना पड़े. बहुत से कॉलेज विद्यार्थियों को यह सुविधा पैकेज सिस्टम के माध्यम से उपलब्ध करवा रहे हैं.

ऐसे विद्यार्थियों को जब फार्मेसी की पढाई करने में ही पसीने आ जाते हैं तो फिर ये अन्य क्षेत्र में सफलता कैसे प्राप्त कर सकते हैं? बिना नॉलेज के सफलता प्राप्त करना नामुमकिन है.

अगर फार्मेसी के साथ-साथ अन्य क्षेत्र का नॉलेज होगा तो सफलता जरूर कदम चूमेगी और यह बात भाग्यश्री ने सिद्ध कर दी है.

बड़े दुर्भाग्य के साथ लिखना पड़ रहा है कि फार्मेसी फील्ड के विद्यार्थियों से अगर उनके बारे में एक पेज लिखने के लिए कहा जाए तो संभवतः 90 प्रतिशत से अधिक विद्यार्थी नहीं लिख पाएँगे.

अगर लिखेंगे भी तो अपना नाम, पिताजी का नाम, पता आदि लिखकर समाप्त कर देंगे. क्या इस कैलिबर पर कही अच्छी नौकरी मिलती है?

क्या फार्मेसी का विद्यार्थी आईएएस बन सकता है?

हमे यह याद रखना चाहिए कि अगर नॉलेज हो तो सफलता जरूर कदम चूमती है, हो सकता है कि समय लग जाए. इसके सम्बन्ध में हम आपको अगली बार फार्मेसी के एक ऐसे टीचर का इंटरव्यू दिखाने की कोशिश करेंगे जिन्होंने फार्मेसी कॉलेज में कई वर्षों तक टीचिंग जॉब किया.

फिर उन्होंने उसे छोड़ कर केमिस्ट्री विषय पर दक्षता हासिल कर इंजीनियरिंग और मेडिकल की कोचिंग में बतौर टीचर जॉब किया.

मात्र पाँच वर्षों में इन्होंने इतनी तरक्की कर ली है कि इन पाँच वर्षों में इनका वेतन लगभग बीस गुना अधिक बढ़ गया है. यह सिर्फ मेहनत और लगन का नतीजा है जिसे कोई भी अंजाम दे सकता है. हम जल्दी ही इनका एक इंटरव्यू आपके सामने लेकर आएँगे.

आज के दौर में जब फार्मेसी फील्ड चारों तरफ से निराशा से घिरा हुआ है, उस समय ऐसी खबरें बड़ा सुकून देती हैं और बड़े गर्व की अनूभूति भी होती है. ऐसे लोग अपने दम पर बड़ी सफलता अर्जित कर बहुत से लोगों के मार्गदर्शक बन सकते हैं.

मार्गदर्शक प्रेरणा का स्त्रोत होता है. सभी फार्मेसी प्रोफेशनल्स को केवल फार्मासिस्ट या मेडिकल रिप्रजेंटेटिव के स्कोप से ऊपर उठकर सोचना होगा कि मंजिले और भी हैं, रास्ते और भी हैं.

फार्मेसी ग्रेजुएट्स को फार्मेसी की पढाई को इंजीनियरिंग ग्रेजुएट्स की तरह लेना चाहिए और फार्मेसी के अतिरिक्त अन्य परीक्षाओं की तैयारी भी करनी चाहिए जिनमे बैंक, एसएससी, सिविल सर्विसेज आदि से लेकर प्रत्येक ग्रेजुएशन लेवल की परीक्षा है.

याद रखें कि आप एक स्पेशलिस्ट से पहले एक ग्रेजुएट हैं. एक ग्रेजुएट एक आजाद पंछी की तरह होता है जो जब चाहे जिस डाल पर अपना घोंसला बना सकता है.

इसलिए सीमाओं में बंधकर गुलाम मत बनो. यह जरूरी नहीं है कि आपने फार्मेसी में पढाई की है तो करियर भी फार्मेसी में ही ढूँढे. जब एक डॉक्टर या एक इंजीनियर अन्य क्षेत्र में जा सकता है तो फिर फार्मेसी ग्रेजुएट क्यों नहीं जा सकता है?

क्या फार्मेसी में एडमिशन लेते समय आपसे ये कसम दिला दी जाती है कि मरते दम तक आप फार्मेसी का दामन नहीं छोड़ेंगे? यह आपको तय करना है कि आपको अपना करियर बेहतर बनाना है या एक जगह चिपके रहना है?

आपको हमारी बात अगर समझ में नहीं आती है तो कोई बात नहीं परन्तु आपको भाग्यश्री के जीवन से अवश्य प्रेरणा लेनी चाहिए. ध्यान रखिए परिवर्तन संसार का नियम है और गति ही जीवन है. स्थिरता केवल जड़ता की तरफ लेकर जाती है.

लेखक, Writer

रमेश शर्मा {एम फार्म, एमएससी (कंप्यूटर साइंस), पीजीडीसीए, एमए (इतिहास), सीएचएमएस}


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