PCI Appeal for Teachers Salary in Hindi

पीसीआई ने की शिक्षकों के वेतन की अपील, PCI appeal for teachers salary

जब से देश में कोरोना का प्रकोप छाया है तब से फार्मेसी क्षेत्र के टीचर्स को कोरोना संकट के साथ-साथ आर्थिक संकट का भी सामना करना पड रहा है. इस आर्थिक संकट की वजह है टीचर्स को सैलरी या तो पूरी तरह से नहीं मिलना या फिर कुछ प्रतिशत मिलना.

इस संकट का सामना देश के कुछ चुनिन्दा कॉलेजों और संस्थानों के टीचर्स को छोड़कर अन्य सभी टीचर्स को करना पड रहा है. लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि फिर भी कोई टीचर या इनके नुमाइन्दे इस बात को किसी सार्वजनिक मंच पर प्रमुखता से नहीं उठा रहे हैं.

शायद कोरोना के साथ-साथ इस सिचुएशन को भी प्राकृतिक आपदा मान लिया गया है और लगभग सभी लोग कोरोना संकट की जल्दी समाप्ति की दुआ कर रहे हैं ताकि उन्हें सैलरी मिले और जिंदगी वापस पटरी पर लौटे.

फार्मेसी शिक्षा को फार्मेसी कौंसिल ऑफ इंडिया यानि पीसीआई के द्वारा रेगुलेट किया जाता है. यह इस क्षेत्र की सर्वोच्च नियामक संस्था है. अन्य संस्थाओं की तरह इस संस्था ने भी टीचर्स को कोरोना काल में सैलरी दिलाने के लिए कमर कसी हुई है.

इस संस्था के प्रयासों का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इसने अप्रैल से अब तक के पिछले पाँच महीनों में भारत के सभी फार्मेसी संस्थानों से टीचर्स को सैलरी देने के लिए तीन बार अपील कर दी है.

पीसीआई ने सभी कॉलेजों से टीचर्स को लॉक डाउन पीरियड में सैलरी देने की पहली अपील 20 अप्रैल को एक नोटिफिकेशन जारी करके की.

इसके बाद में पीसीआई ने दूसरी अपील 9 जुलाई को सभी कॉलेजों को नया एकेडेमिक सेशन शुरू करने के लिए जारी गाइड लाइन में की. इसमें इन्होंने जनवरी से जून तक के समय में टीचर्स को दी गई सैलरी का ब्यौरा मंथ वाइज माँगा और साथ ही नौकरी छोड़ने वाले या नौकरी से निकाले जाने वाले टीचर्स के सम्बन्ध में भी प्रमाणस्वरूप जस्टिफिकेशन भी माँगा.

इसके पश्चात तीसरा नोटिफिकेशन 24 अगस्त को जारी हुआ जिसमे भी पिछले नोटिफिकेशन की तरह टीचर्स को सैलरी देने की अपील की गई, साथ ही जनवरी से महीने वार सैलरी के ब्यौरे के साथ-साथ नौकरी छोड़ कर जाने वाले या नौकरी से निकाले जाने वाले टीचर्स का प्रमाणस्वरूप जस्टिफिकेशन माँगा है.

इस नोटिफिकेशन में एक नई इनोवेटिव चीज जोड़ी गई और वह चीज है उपरोक्त ब्यौरे को भरने के लिए एक प्रोफोर्मा दिया गया है. यह प्रोफोर्मा उन सभी इनोसेंट कॉलेज मैनेजमेंट के लिए सहायक होगा जो अब तक सिर्फ प्रोफोर्मा ना होने की वजह से डिटेल्स नहीं भेज पा रहे थे.

जैसा कि आप जानते हैं कि कोई भी प्रोफोर्मा ऐसे ही नहीं बनता है इसमें बड़ी रिसर्च की आवश्यकता होती है. सैलरी के सम्बन्ध में इन तीनों नोटिफिकेशंस को देखकर कोई भी व्यक्ति पीसीआई के प्रयासों की सराहना ही करेगा लेकिन अगर आप इन सभी नोटिफिकेशंस को ध्यान से देखेंगे तो आप पाएँगे कि इनमे से किसी भी नोटिफिकेशन में कॉलेजों को डिटेल्स भरकर देने के लिए कोई समय सीमा नहीं दी गई है.

जब कोई अंतिम समय सीमा ही नहीं है तो कोई इन डिटेल्स को अभी भरकर क्यों देगा? समय सीमा नहीं दिए जाने का मतलब यह है कि सभी कॉलेज इन डिटेल्स को एक साल, दो साल या जीवन पर्यन्त तक कभी भी भरकर दे सकते हैं.

मतलब साफ है कि इन नोटिफिकेशंस को बनाते समय या तो पीसीआई से कोई गलती हुई है या फिर जानबूझकर सभी कॉलेजों के लिए कोई पतली गली छोड़ी गई है ताकि साँप भी मर जाए और लाठी भी ना टूटे.

अब दूसरे पॉइंट पर आते हैं जिसमे पीसीआई ने सैलरी ना देने वाले कॉलेजों के खिलाफ कार्यवाही करने की बात कही है.

पहली बात तो ये है कि जब आपने डिटेल्स भेजने की समय सीमा अनंत काल के लिए दी हुई है तब आप डिटेल्स ना भरकर देने वाले कॉलेजों के खिलाफ किस आधार पर कोई एक्शन ले सकते हो.

दूसरी बात यह है कि उन कॉलेजों के खिलाफ क्या एक्शन होगा जिन्होंने डिटेल्स भरकर भेज दी और उन डिटेल्स में टीचर्स को कुछ प्रतिशत सैलरी देना ही स्वीकार किया.

यह बात पीसीआई से छिपी हुई नहीं है कि टीचर्स को गवर्नमेंट के नियमानुसार ग्रेड और सैलरी मिलनी चाहिए लेकिन अधिकांश कॉलेज इन नियमों की धज्जियाँ उड़ाते हुए टीचर्स को इस ग्रेड का पचास साठ प्रतिशत से अधिक नहीं देते हैं.

कॉलेज के इंस्पेक्शन के समय टीचर्स की सैलरी को बड़ी शान के साथ पीसीआई के पोर्टल पर अंकित किया जाता है जिसे इंस्पेक्शन के लिए आए पीसीआई के इंस्पेक्टर वेरीफाई भी करते हैं.

जब पीसीआई वर्ष भर मिलने वाली इस अपूर्ण सैलरी पर ही कोई एक्शन नहीं ले पाती है तब अब इस महामारी के दौर में कोई एक्शन ले पाएगी, यह समझ से परे है. इस समय तो सभी कॉलेज मैनेजमेंट के पास में कोरोना महामारी से पीडित होने का अच्छा बहाना है.

फिर भी अगर पीसीआई वास्तव में टीचर्स की सैलरी के लिए चिंतित है उसे अपनी वेबसाइट पर ही टीचर्स से फीडबैक लेना चाहिए और उसे सभी टीचर्स के लिए अनिवार्य करना चाहिए.

मेरा कहना सिर्फ इतना ही है कि प्रयास ईमानदारी के साथ होना चाहिए ना कि इमानदारी के साथ उसका दिखावा.

लेखक, Writer

रमेश शर्मा {एम फार्म, एमएससी (कंप्यूटर साइंस), पीजीडीसीए, एमए (इतिहास), सीएचएमएस}


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