नमक हमारे शरीर के लिए अत्यंत घातक - नमक का हमारे भोजन के साथ साथ हमारे जीवन में भी एक प्रमुख स्थान है। नमक के बिना भोजन की कल्पना करना भी असंभव है।
नमक तो आजादी की लड़ाई से भी जुड़ा हुआ है जब गांधीजी ने 1930 में दांडी यात्रा करके नमक कानून को तोडा था। नमक शब्द का प्रयोग कई कहावतों और फिल्मी गानों में भी प्रयुक्त हुआ है।
किसी वस्तु की अल्प मात्रा को इंगित करने के लिए हम उसे आटे में नमक की संज्ञा दे देते हैं। फिल्मी गानों में यौवन की मादकता को प्रकट करने करने नमक और नमकीन शब्द प्रयोग में लिए जा रहे हैं जैसे “समुन्दर में नहा कर और भी नमकीन हो गई हो”, “जुबां पे लागा लागा रे नमक इश्क का” आदि।
मीठा और नमकीन स्वाद इंसान के परम प्रिय स्वाद हैं एवं अधिकतर खानें पीनें की सामग्री इन्ही दो स्वादों को ध्यान में रखकर बनाई जाती है। मीठा स्वाद चीनी की वजह से एवं नमकीन स्वाद नमक की वजह से प्राप्त होता है।
इन दोनों की अधिकता शरीर के लिए अत्यंत घातक होती है इसलिए चीनी और नमक दोनों को सफेद जहर भी कहा जाता है।
हमें नमकीन स्वाद की इतनीं लत सी लग गई है कि अगर भोजन से नमकीन स्वाद हटा दिया जाये तो शायद हमारा भोजन करना दूभर हो जायेगा। हममें से बहुत से लोग तो बिना सब्जी को चखे उसमे काफी मात्रा में नमक डाल लेते हैं और धीरे धीरे अधिक नमक खानें के आदी हो जाते हैं।
क्या कभी हमनें सोचा है कि सिर्फ स्वाद ही स्वाद में हम कितनें बड़े खतरों को आमंत्रित कर रहे हैं? क्या नमक का अधिक प्रयोग हमारे स्वास्थ्य के लिए लाभकारक है? क्या भोजन करते समय सिर्फ जुबां के स्वाद का ध्यान रखना चाहिए?
नमक तो आजादी की लड़ाई से भी जुड़ा हुआ है जब गांधीजी ने 1930 में दांडी यात्रा करके नमक कानून को तोडा था। नमक शब्द का प्रयोग कई कहावतों और फिल्मी गानों में भी प्रयुक्त हुआ है।
किसी वस्तु की अल्प मात्रा को इंगित करने के लिए हम उसे आटे में नमक की संज्ञा दे देते हैं। फिल्मी गानों में यौवन की मादकता को प्रकट करने करने नमक और नमकीन शब्द प्रयोग में लिए जा रहे हैं जैसे “समुन्दर में नहा कर और भी नमकीन हो गई हो”, “जुबां पे लागा लागा रे नमक इश्क का” आदि।
मीठा और नमकीन स्वाद इंसान के परम प्रिय स्वाद हैं एवं अधिकतर खानें पीनें की सामग्री इन्ही दो स्वादों को ध्यान में रखकर बनाई जाती है। मीठा स्वाद चीनी की वजह से एवं नमकीन स्वाद नमक की वजह से प्राप्त होता है।
इन दोनों की अधिकता शरीर के लिए अत्यंत घातक होती है इसलिए चीनी और नमक दोनों को सफेद जहर भी कहा जाता है।
हमें नमकीन स्वाद की इतनीं लत सी लग गई है कि अगर भोजन से नमकीन स्वाद हटा दिया जाये तो शायद हमारा भोजन करना दूभर हो जायेगा। हममें से बहुत से लोग तो बिना सब्जी को चखे उसमे काफी मात्रा में नमक डाल लेते हैं और धीरे धीरे अधिक नमक खानें के आदी हो जाते हैं।
क्या कभी हमनें सोचा है कि सिर्फ स्वाद ही स्वाद में हम कितनें बड़े खतरों को आमंत्रित कर रहे हैं? क्या नमक का अधिक प्रयोग हमारे स्वास्थ्य के लिए लाभकारक है? क्या भोजन करते समय सिर्फ जुबां के स्वाद का ध्यान रखना चाहिए?
हमारे दुर्गुणों में सबसे बड़ा दुर्गुण ये है कि हम अपने स्वास्थ्य के प्रति सचेत नहीं रहते हैं, विशेषकर जब हम भोजन कर रहे होते हैं तब हमारा परम लक्ष्य यही होता है कि हम अधिक से अधिक भोजन ग्रहण करें।
माता पिता भी मनुहार करके अधिकाधिक भोजन अपने बच्चों को करातें हैं। अति हर चीज की हानिकारक होती है फिर चाहे वो भोजन हो या फिर नमक, और यदि भोजन अधिक नमक वाला हो तो फिर सुभान अल्लाह।
हमारे भोजन में नमक की मात्रा अधिक से अधिक दो ग्राम प्रतिदिन की होनी चाहिए और अगर इससे अधिक नमक शरीर में जा रहा है तो फिर वो शरीर के लिए अत्यंत हानिकारक है।
हमारे दैनिक जीवन में नमक की पूर्ति बिना अतिरिक्त नमक का प्रयोग किये ही हो जाती है क्योंकि हम जो कुछ भी खातें पीतें हैं उसमे कुछ न कुछ मात्रा नमक की होती है फिर चाहे वो पानी ही क्यों न हो।
नमक शरीर के अतिरिक्त कोशिकीय द्रव्य का प्रमुख मिनरल होता है। यह एक रसायन होता है जो कि सोडियम और क्लोराइड आयनों के मिलनें के कारण बनता है। नमक से प्राप्त सोडियम आयनों का शरीर पर बहुत प्रभाव पड़ता हैं।
ये सोडियम आयन हमारे शरीर की मांसपेशियों की क्रियाविधि पर, दिमाग से संचालित विद्युत तरंगो के संचालन पर, ह्रदय की तरंगो के संचालन पर तथा हमारी किडनियों की क्रियाविधि पर नियंत्रण रखते हैं।
दूसरे शब्दों में कहा जाये तो नमक की अधिकता का हमारे शरीर के विभिन्न अंगो जैसे ह्रदय, किडनी, दिमाग, मांसपेशियोँ और हड्डियों पर काफी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
इसकी अधिकता की वजह से ह्रदय सम्बन्धी बीमारियाँ जैसे उच्च रक्तचाप, ह्रदयाघात एवं किडनी सम्बन्धी कई बीमारियाँ हो जाती है।
अब ये हमें तय करना है कि हम जीने के लिए भोजन करते हैं या फिर भोजन के लिए जीते हैं। निश्चित रूप से हम भोजन जीनें के लिए ही करते हैं तो फिर हमें अपनी जिव्हा पर नियंत्रण करके सिर्फ स्वाद के लिए ही भोजन नहीं करना चाहिए।
माता पिता भी मनुहार करके अधिकाधिक भोजन अपने बच्चों को करातें हैं। अति हर चीज की हानिकारक होती है फिर चाहे वो भोजन हो या फिर नमक, और यदि भोजन अधिक नमक वाला हो तो फिर सुभान अल्लाह।
हमारे भोजन में नमक की मात्रा अधिक से अधिक दो ग्राम प्रतिदिन की होनी चाहिए और अगर इससे अधिक नमक शरीर में जा रहा है तो फिर वो शरीर के लिए अत्यंत हानिकारक है।
हमारे दैनिक जीवन में नमक की पूर्ति बिना अतिरिक्त नमक का प्रयोग किये ही हो जाती है क्योंकि हम जो कुछ भी खातें पीतें हैं उसमे कुछ न कुछ मात्रा नमक की होती है फिर चाहे वो पानी ही क्यों न हो।
नमक शरीर के अतिरिक्त कोशिकीय द्रव्य का प्रमुख मिनरल होता है। यह एक रसायन होता है जो कि सोडियम और क्लोराइड आयनों के मिलनें के कारण बनता है। नमक से प्राप्त सोडियम आयनों का शरीर पर बहुत प्रभाव पड़ता हैं।
ये सोडियम आयन हमारे शरीर की मांसपेशियों की क्रियाविधि पर, दिमाग से संचालित विद्युत तरंगो के संचालन पर, ह्रदय की तरंगो के संचालन पर तथा हमारी किडनियों की क्रियाविधि पर नियंत्रण रखते हैं।
दूसरे शब्दों में कहा जाये तो नमक की अधिकता का हमारे शरीर के विभिन्न अंगो जैसे ह्रदय, किडनी, दिमाग, मांसपेशियोँ और हड्डियों पर काफी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
इसकी अधिकता की वजह से ह्रदय सम्बन्धी बीमारियाँ जैसे उच्च रक्तचाप, ह्रदयाघात एवं किडनी सम्बन्धी कई बीमारियाँ हो जाती है।
अब ये हमें तय करना है कि हम जीने के लिए भोजन करते हैं या फिर भोजन के लिए जीते हैं। निश्चित रूप से हम भोजन जीनें के लिए ही करते हैं तो फिर हमें अपनी जिव्हा पर नियंत्रण करके सिर्फ स्वाद के लिए ही भोजन नहीं करना चाहिए।
अगर हमें स्वयं को एवं अपने परिवार को स्वस्थ रखना है तो हमें नमक खानें पर सम्पूर्ण नियंत्रण रखना होगा तथा समाज को भी इस दिशा में जाग्रत करना होगा।
नमक हमारे शरीर के लिए अत्यंत घातक Salt is extremely dangerous for our body
Written by:
Ramesh Sharma
Our Other Websites:
Get Khatushyamji Prasad at www.khatushyamjitemple.com
Buy Domain and Hosting www.domaininindia.com
Get English Learning Tips www.englishlearningtips.com
Buy Domain and Hosting www.domaininindia.com
Get English Learning Tips www.englishlearningtips.com
Read Healthcare and Pharma Articles www.pharmacytree.com
Our Social Media Presence :
Follow Us on Twitter www.twitter.com/pharmacytree
Follow Us on Facebook www.facebook.com/pharmacytree
Follow Us on Instagram www.instagram.com/pharmacytree
Subscribe Our Youtube Channel www.youtube.com/channel/UCZsgoKVwkBvbG9rCkmd_KYg
Disclaimer (अस्वीकरण) : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं तथा कोई भी सूचना, तथ्य अथवा व्यक्त किए गए विचार Pharmacy Tree के नहीं हैं. अगर आलेख में किसी भी तरह की स्वास्थ्य सम्बन्धी सलाह दी गई है तो वह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है.
अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श जरूर लें. आलेख में दी गई किसी भी सूचना की सटीकता, संपूर्णता, व्यावहारिकता अथवा सच्चाई के प्रति Pharmacy Tree उत्तरदायी नहीं है.
0 Comments