दीर्घायु के लिए आवश्यक है गहरी नींद - यह बात हम बचपन से ही सुनते आए हैं कि गहरी तथा पर्याप्त नींद हमारे अच्छे स्वास्थ्य के लिए अति आवश्यक है। नींद हमारे शरीर की मूलभूत आवश्यकताओं में से एक है।
जिस प्रकार हमें जिन्दा रहने के लिए भोजन की आवश्यकता होती है उसी प्रकार स्वस्थ रहने के लिए हमारे शरीर को पर्याप्त आराम की जरूरत होती है और यह आराम हमें गहरी नींद में ही मिल सकता है।
नींद एक प्राकृतिक प्रक्रिया होती है तथा यह हमारी इच्छा पर निर्भर नहीं करता है कि हमें सोना है या नहीं सोना है।
नींद हमारे लिए आवश्यक होती है तथा जब हम पर्याप्त नींद नहीं ले पाते हैं तब हमें पूरे दिन थकान तथा चिड़चिड़ेपन का अहसास होता रहता है। हमारा शरीर हमें इस बात के लिए सचेत कर देता है कि हमने पर्याप्त नींद नहीं ली है।
जिस प्रकार पेट भर कर भोजन नहीं करने पर हमें भूख का अहसास होता है ठीक उसी प्रकार पर्याप्त रूप से नींद नहीं लेने पर हमें उनींदेपन तथा थकान का अहसास होता रहता है।
बहुत से लोग ऐसे होते हैं जिन्हें लाख कोशिशों के पश्चात भी नींद नहीं आती है या फिर बहुत कम नींद आती है। नींद नहीं आना या फिर बहुत कम नींद आना अनिद्रा रोग की निशानी होते हैं। अनिद्रा रोग बहुत घातक रोग होता है जिसकी वजह से मानसिक तनाव पैदा होता है।
इस रोग की वजह से मानसिक कार्यक्षमता में कमी आने लगती है तथा किसी भी कार्य को करने में एकाग्रता का अभाव होने लगता है। सारे दिन थकान तथा उनींदापन किसी भी कार्य में मन नहीं लगने देता है।
कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि अनिद्रा की वजह से शारीरिक तथा मानसिक कार्यक्षमता में कमी आने लगती है।
दरअसल अनिद्रा, तनाव, ह्रदय तथा रक्त सम्बन्धी (उच्च रक्तचाप) बीमारियों का आपस में घनिष्ट सम्बन्ध होता है। अगर किसी मनुष्य के कोई एक बीमारी हो जाती है तब वह धीरे-धीरे दूसरी बीमारियों की चपेट में आना शुरू हो जाता है।
अनिद्रा का दीर्घकालीन प्रभाव मनुष्य की उम्र पर पड़ता है तथा असमय ही बुढ़ापे के लक्षण दिखना शुरू हो जाते हैं।
अनिद्रा की बीमारी को ठीक करने के लिए एलॉपथी में जो दवाइयाँ दी जाती है वो सीधे-सीधे दिमाग पर असर डालती है। मुख्य रूप से सेडेटिव हिप्नोटिक (Sedative Hypnotic) केटेगरी की दवाइयाँ मरीज को दी जाती हैं।
सेडेटिव हिप्नोटिक दवाइयों के कार्य करने की क्रियाविधि मुख्यतया सेंट्रल नर्वस सिस्टम (ब्रेन) को डिप्रेस (Depress) करना होता है अतः ये दवाइयाँ दिमाग को डिप्रेस करके कृत्रिम नींद पैदा करती हैं।
प्राकृतिक नींद के दो चरण होते हैं जिनमे पहला एनआरईम (NREM) तथा दूसरा आरईम (REM) कहलाता है। दूसरे चरण में हमें गहरी नींद आती है। जब हम अनिद्रा की दवाइयाँ लेते हैं तो वे हमारे इस प्राकृतिक निद्रा चक्र को भी प्रभावित करती है जिसकी वजह से हमारे दिमाग पर नकारात्मक असर पड़ता है।
जिस प्रकार हमें जिन्दा रहने के लिए भोजन की आवश्यकता होती है उसी प्रकार स्वस्थ रहने के लिए हमारे शरीर को पर्याप्त आराम की जरूरत होती है और यह आराम हमें गहरी नींद में ही मिल सकता है।
नींद एक प्राकृतिक प्रक्रिया होती है तथा यह हमारी इच्छा पर निर्भर नहीं करता है कि हमें सोना है या नहीं सोना है।
नींद हमारे लिए आवश्यक होती है तथा जब हम पर्याप्त नींद नहीं ले पाते हैं तब हमें पूरे दिन थकान तथा चिड़चिड़ेपन का अहसास होता रहता है। हमारा शरीर हमें इस बात के लिए सचेत कर देता है कि हमने पर्याप्त नींद नहीं ली है।
जिस प्रकार पेट भर कर भोजन नहीं करने पर हमें भूख का अहसास होता है ठीक उसी प्रकार पर्याप्त रूप से नींद नहीं लेने पर हमें उनींदेपन तथा थकान का अहसास होता रहता है।
बहुत से लोग ऐसे होते हैं जिन्हें लाख कोशिशों के पश्चात भी नींद नहीं आती है या फिर बहुत कम नींद आती है। नींद नहीं आना या फिर बहुत कम नींद आना अनिद्रा रोग की निशानी होते हैं। अनिद्रा रोग बहुत घातक रोग होता है जिसकी वजह से मानसिक तनाव पैदा होता है।
इस रोग की वजह से मानसिक कार्यक्षमता में कमी आने लगती है तथा किसी भी कार्य को करने में एकाग्रता का अभाव होने लगता है। सारे दिन थकान तथा उनींदापन किसी भी कार्य में मन नहीं लगने देता है।
कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि अनिद्रा की वजह से शारीरिक तथा मानसिक कार्यक्षमता में कमी आने लगती है।
दरअसल अनिद्रा, तनाव, ह्रदय तथा रक्त सम्बन्धी (उच्च रक्तचाप) बीमारियों का आपस में घनिष्ट सम्बन्ध होता है। अगर किसी मनुष्य के कोई एक बीमारी हो जाती है तब वह धीरे-धीरे दूसरी बीमारियों की चपेट में आना शुरू हो जाता है।
अनिद्रा का दीर्घकालीन प्रभाव मनुष्य की उम्र पर पड़ता है तथा असमय ही बुढ़ापे के लक्षण दिखना शुरू हो जाते हैं।
अनिद्रा की बीमारी को ठीक करने के लिए एलॉपथी में जो दवाइयाँ दी जाती है वो सीधे-सीधे दिमाग पर असर डालती है। मुख्य रूप से सेडेटिव हिप्नोटिक (Sedative Hypnotic) केटेगरी की दवाइयाँ मरीज को दी जाती हैं।
सेडेटिव हिप्नोटिक दवाइयों के कार्य करने की क्रियाविधि मुख्यतया सेंट्रल नर्वस सिस्टम (ब्रेन) को डिप्रेस (Depress) करना होता है अतः ये दवाइयाँ दिमाग को डिप्रेस करके कृत्रिम नींद पैदा करती हैं।
प्राकृतिक नींद के दो चरण होते हैं जिनमे पहला एनआरईम (NREM) तथा दूसरा आरईम (REM) कहलाता है। दूसरे चरण में हमें गहरी नींद आती है। जब हम अनिद्रा की दवाइयाँ लेते हैं तो वे हमारे इस प्राकृतिक निद्रा चक्र को भी प्रभावित करती है जिसकी वजह से हमारे दिमाग पर नकारात्मक असर पड़ता है।
आखिर नींद हमारे शरीर के लिए इतनी आवश्यक क्यों है? एक स्वस्थ मनुष्य के लिए कितने घंटे की नींद पर्याप्त होती है? दरअसल गहरी नींद का अच्छे स्वास्थ्य तथा दीर्घ जीवन से गहरा सम्बन्ध होता है।
जिस प्रकार आहार तथा कसरत हमारे अच्छे स्वास्थ्य के दो स्तम्भ होते हैं ठीक उसी प्रकार गहरी नींद हमारे स्वास्थ्य के लिए तीसरा स्तम्भ होती है।
दरअसल नींद में परिवर्तन होने से शरीर की पूरी क्रिया प्रणाली में बदलाव आ जाता है इसी वजह से अनिद्रा का सम्बन्ध बहुत सी अन्य बीमारियों के साथ-साथ असमय मौत से भी होता है।
नींद एक रात्रिकालीन थेरेपी होती है जिसमे हमारा दिमाग तथा शरीर अपनी थकान को मिटाकर पुनः नई स्फूर्ति के साथ अपने आप को तैयार करते हैं। नींद में दिमाग सभी बेकार और फिजूल बातों को भुलाकर अपने आप को नए दिन के लिए तैयार करता है।
इसी समय शरीर भी अपने विभिन्न अंगों की मरम्मत तथा पुनर्निर्माण के कार्य को अंजाम देता है। नींद एक तरह की बेहोशी वाली स्थिति होती है जिसमे शरीर पूर्णतया आराम की मुद्रा में होता है।
एक वयस्क मनुष्य को कम से कम सात घंटे की नींद लेना आवश्यक होता है। बच्चों के लिए यह समय बढ़ जाता है तथा बुजुर्गों के लिए यह समय कुछ घट जाता है। वयस्क मनुष्य के लिए सात घंटे की नींद पर्याप्त हो सकती है परन्तु यह कोई स्थापित पैमाना नहीं होता है।
दरअसल हर मनुष्य की अलग-अलग क्षमता होती है। किसी के लिए सात घंटे की नींद पर्याप्त हो सकती है तो किसी के लिए पाँच घंटे भी पर्याप्त हो सकते हैं।
कुल मिलाकर यही निष्कर्ष निकलता है कि पहला सुख निरोगी काया को माना गया है तथा निरोगी काया के लिए कुछ भी करना जरूरी होता है। अतः हमें अपने सोने के वक्त और जगह पर ध्यान देकर पर्याप्त गहरी नींद लेने का प्रयास करना चाहिए ताकि हम स्वस्थ रह सकें।
दीर्घायु के लिए आवश्यक है गहरी नींद Deep sleep is necessary for long life
Written by:
Ramesh Sharma
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दरअसल नींद में परिवर्तन होने से शरीर की पूरी क्रिया प्रणाली में बदलाव आ जाता है इसी वजह से अनिद्रा का सम्बन्ध बहुत सी अन्य बीमारियों के साथ-साथ असमय मौत से भी होता है।
नींद एक रात्रिकालीन थेरेपी होती है जिसमे हमारा दिमाग तथा शरीर अपनी थकान को मिटाकर पुनः नई स्फूर्ति के साथ अपने आप को तैयार करते हैं। नींद में दिमाग सभी बेकार और फिजूल बातों को भुलाकर अपने आप को नए दिन के लिए तैयार करता है।
इसी समय शरीर भी अपने विभिन्न अंगों की मरम्मत तथा पुनर्निर्माण के कार्य को अंजाम देता है। नींद एक तरह की बेहोशी वाली स्थिति होती है जिसमे शरीर पूर्णतया आराम की मुद्रा में होता है।
एक वयस्क मनुष्य को कम से कम सात घंटे की नींद लेना आवश्यक होता है। बच्चों के लिए यह समय बढ़ जाता है तथा बुजुर्गों के लिए यह समय कुछ घट जाता है। वयस्क मनुष्य के लिए सात घंटे की नींद पर्याप्त हो सकती है परन्तु यह कोई स्थापित पैमाना नहीं होता है।
दरअसल हर मनुष्य की अलग-अलग क्षमता होती है। किसी के लिए सात घंटे की नींद पर्याप्त हो सकती है तो किसी के लिए पाँच घंटे भी पर्याप्त हो सकते हैं।
कुल मिलाकर यही निष्कर्ष निकलता है कि पहला सुख निरोगी काया को माना गया है तथा निरोगी काया के लिए कुछ भी करना जरूरी होता है। अतः हमें अपने सोने के वक्त और जगह पर ध्यान देकर पर्याप्त गहरी नींद लेने का प्रयास करना चाहिए ताकि हम स्वस्थ रह सकें।
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Disclaimer (अस्वीकरण) : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं तथा कोई भी सूचना, तथ्य अथवा व्यक्त किए गए विचार Pharmacy Tree के नहीं हैं. अगर आलेख में किसी भी तरह की स्वास्थ्य सम्बन्धी सलाह दी गई है तो वह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है.
अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श जरूर लें. आलेख में दी गई किसी भी सूचना की सटीकता, संपूर्णता, व्यावहारिकता अथवा सच्चाई के प्रति Pharmacy Tree उत्तरदायी नहीं है.
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