नर्सिंग एक नोबल प्रोफेशन है - नर्स शब्द का जिक्र होते ही हमारे मन में मरीजों की सेवा करती हुई एक दयालु महिला की छवि उभर आती है जो निस्वार्थ भाव से रोगियों की सेवा और भलाई में दिन रात लगी होती है और जिसका सम्पूर्ण जीवन दूसरों की भलाई और उनके दुखों को दूर करनें में बीत जाता है।
आधुनिक नर्सिंग की जन्मदाता मिस फ्लोरेंस नाइटिंगेल (12 मई 1820 – 13 अगस्त 1910) को माना जाता है जिन्होंने क्रीमिया के युद्ध के समय रात रात भर जाग कर लालटेन के सहारे घायलों की सेवा की थी।
उनकी इसी सेवा के बदौलत उनको “लेडी विथ द लैंप” के नाम से जाना जाता है। इनकी प्रेरणा से ही महिलायें नर्सिंग क्षेत्र में आनें लगी थी।
नर्सिंग क्षेत्र में पुरुष और महिला दोनों समान योगदान प्रदान करते हैं परन्तु इसमें महिलाओं की भूमिका पुरुषों के मुकाबले कुछ ज्यादा होती है।
इसका मूल कारण यह होता है कि एक नर्स में मानवता, करुणा, विनम्रता, सेवा भावना, रोगियों में आत्मविश्वास जगाने की क्षमता आदि गुणों का होना परमावश्यक होता है जो पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में अधिक देखने को मिलते हैं।
एक महिला नर्स जब इन गुणों से ओतप्रोत होकर मरीजों की सेवा करती है तब श्रद्धा से सर झुक जाता है। महिला नर्स की इसी सेवापरायणता की वजह से उसे सिस्टर भी कहा जाता है।
डॉक्टर और मरीज के बीच की प्रमुख कड़ी नर्स होती है तथा जिसकी भूमिका को न तो नजरअंदाज किया जा सकता है और न ही कमतर आँका जा सकता है।
डॉक्टर के निर्देशानुसार मरीजों को समय समय पर दवा पिलाना, उनके स्वास्थ्य का ख्याल रखना और हर हाल में मरीजों की सेवा करना, नर्सिंग प्रोफेशन को दूसरे सभी प्रोफेशन से अलग बनाता है।
मरीज चाहे किसी भी जाती और धर्म का हो, अमीर हो या फिर गरीब हो, एक आदर्श नर्स की सेवा भावना में कोई अंतर नहीं आता।
मरीज को पुनः निरोगी बनाने में जितना योगदान डॉक्टर का होता है उससे कंही अधिक योगदान नर्स का होता है। डॉक्टर का कार्य रोगी के रोग को मारना होता है परन्तु नर्स का कार्य तो रोग को मारने में योगदान के साथ-साथ मरीज में पुनः आत्मविश्वास पैदा करना भी होता है।
जितना ध्यान एक माँ अपने बच्चों का रखती है ठीक उसी प्रकार एक नर्स भी अपने मरीजों का ध्यान रखती है। किस मरीज को क्या दवा देनी है, कब देनी है, कितनी देनी है, कैसे देनी है, क्या खिलाना है, क्या-क्या सावधानी बरतनी है आदि का सम्पूर्ण ध्यान नर्स को रखना पड़ता है।
नर्स बननें के लिए नर्सिंग विषय की पढ़ाई करनी पड़ती है जिसमें बहुत से कोर्स होते हैं जैसे जनरल नर्सिग एंड मिडवाइफरी (जीएनएम), बीएससी नर्सिंग, एमएससी नर्सिग, औक्सिलिअरी नर्स मिडवाइफ (एएनएम) आदि।
ये कोर्स डिप्लोमा से लेकर पोस्ट ग्रेजुएशन तक के होते हैं जिनकी अवधि एक वर्ष से लेकर साढ़े चार वर्ष तक की होती है।
इन सभी कोर्स को करने के पश्चात कार्य तो नर्स का ही करना पड़ता है परन्तु उनके पदनाम, क्षेत्र और वेतन में मूलभूत फर्क होता है।
एएनएम और जीएनएम दोनों ही डिप्लोमा कोर्स होते हैं। एएनएम का प्रमुख कार्य ग्रामीण क्षेत्रो में बुजुर्गों, महिलाओं और बच्चों को अपनी सेवाएँ देना होता है जबकि जीएनएम हेल्थ टीम का प्रमुख सदस्य बनकर अपनी सेवाएँ देती है।
बीएससी नर्सिंग एवं एमएससी नर्सिग क्रमशः ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन कोर्स होते हैं जिनके पश्चात नर्सिंग क्षेत्र में शिक्षक का कार्य भी किया जा सकता है, जिसका पदनाम नर्सिंग ट्यूटर होता है।
इस प्रकार हम देखें कि नर्स चाहे किसी भी कोर्स से हो परन्तु उनके कार्य में, उनके जज्बे में, उनकी सेवा में किसी भी प्रकार की कोई कमी नहीं आती है तभी तो यह पेशा बड़ा पुनीत और आदर्श पेशा कहलाता है।
नर्सिंग एक नोबल प्रोफेशन है Nursing is noble profession
Written by:
Ramesh Sharma
Tags - nursing noble profession, nursing profession, nursing as career, career option in nursing, staff nurse as career, gnm as career, career as anm, nclex exam for nursing, nursing graduate, diploma in nursing
Our Social Media Presence :
Follow Us on Twitter www.twitter.com/pharmacytree
Follow Us on Facebook www.facebook.com/pharmacytree
Follow Us on Instagram www.instagram.com/pharmacytree
Subscribe Our Youtube Channel www.youtube.com/channel/UCZsgoKVwkBvbG9rCkmd_KYg
आधुनिक नर्सिंग की जन्मदाता मिस फ्लोरेंस नाइटिंगेल (12 मई 1820 – 13 अगस्त 1910) को माना जाता है जिन्होंने क्रीमिया के युद्ध के समय रात रात भर जाग कर लालटेन के सहारे घायलों की सेवा की थी।
उनकी इसी सेवा के बदौलत उनको “लेडी विथ द लैंप” के नाम से जाना जाता है। इनकी प्रेरणा से ही महिलायें नर्सिंग क्षेत्र में आनें लगी थी।
नर्सिंग क्षेत्र में पुरुष और महिला दोनों समान योगदान प्रदान करते हैं परन्तु इसमें महिलाओं की भूमिका पुरुषों के मुकाबले कुछ ज्यादा होती है।
इसका मूल कारण यह होता है कि एक नर्स में मानवता, करुणा, विनम्रता, सेवा भावना, रोगियों में आत्मविश्वास जगाने की क्षमता आदि गुणों का होना परमावश्यक होता है जो पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में अधिक देखने को मिलते हैं।
एक महिला नर्स जब इन गुणों से ओतप्रोत होकर मरीजों की सेवा करती है तब श्रद्धा से सर झुक जाता है। महिला नर्स की इसी सेवापरायणता की वजह से उसे सिस्टर भी कहा जाता है।
डॉक्टर और मरीज के बीच की प्रमुख कड़ी नर्स होती है तथा जिसकी भूमिका को न तो नजरअंदाज किया जा सकता है और न ही कमतर आँका जा सकता है।
डॉक्टर के निर्देशानुसार मरीजों को समय समय पर दवा पिलाना, उनके स्वास्थ्य का ख्याल रखना और हर हाल में मरीजों की सेवा करना, नर्सिंग प्रोफेशन को दूसरे सभी प्रोफेशन से अलग बनाता है।
मरीज चाहे किसी भी जाती और धर्म का हो, अमीर हो या फिर गरीब हो, एक आदर्श नर्स की सेवा भावना में कोई अंतर नहीं आता।
मरीज को पुनः निरोगी बनाने में जितना योगदान डॉक्टर का होता है उससे कंही अधिक योगदान नर्स का होता है। डॉक्टर का कार्य रोगी के रोग को मारना होता है परन्तु नर्स का कार्य तो रोग को मारने में योगदान के साथ-साथ मरीज में पुनः आत्मविश्वास पैदा करना भी होता है।
जितना ध्यान एक माँ अपने बच्चों का रखती है ठीक उसी प्रकार एक नर्स भी अपने मरीजों का ध्यान रखती है। किस मरीज को क्या दवा देनी है, कब देनी है, कितनी देनी है, कैसे देनी है, क्या खिलाना है, क्या-क्या सावधानी बरतनी है आदि का सम्पूर्ण ध्यान नर्स को रखना पड़ता है।
नर्स बननें के लिए नर्सिंग विषय की पढ़ाई करनी पड़ती है जिसमें बहुत से कोर्स होते हैं जैसे जनरल नर्सिग एंड मिडवाइफरी (जीएनएम), बीएससी नर्सिंग, एमएससी नर्सिग, औक्सिलिअरी नर्स मिडवाइफ (एएनएम) आदि।
ये कोर्स डिप्लोमा से लेकर पोस्ट ग्रेजुएशन तक के होते हैं जिनकी अवधि एक वर्ष से लेकर साढ़े चार वर्ष तक की होती है।
इन सभी कोर्स को करने के पश्चात कार्य तो नर्स का ही करना पड़ता है परन्तु उनके पदनाम, क्षेत्र और वेतन में मूलभूत फर्क होता है।
एएनएम और जीएनएम दोनों ही डिप्लोमा कोर्स होते हैं। एएनएम का प्रमुख कार्य ग्रामीण क्षेत्रो में बुजुर्गों, महिलाओं और बच्चों को अपनी सेवाएँ देना होता है जबकि जीएनएम हेल्थ टीम का प्रमुख सदस्य बनकर अपनी सेवाएँ देती है।
बीएससी नर्सिंग एवं एमएससी नर्सिग क्रमशः ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन कोर्स होते हैं जिनके पश्चात नर्सिंग क्षेत्र में शिक्षक का कार्य भी किया जा सकता है, जिसका पदनाम नर्सिंग ट्यूटर होता है।
इस प्रकार हम देखें कि नर्स चाहे किसी भी कोर्स से हो परन्तु उनके कार्य में, उनके जज्बे में, उनकी सेवा में किसी भी प्रकार की कोई कमी नहीं आती है तभी तो यह पेशा बड़ा पुनीत और आदर्श पेशा कहलाता है।
नर्सिंग एक नोबल प्रोफेशन है Nursing is noble profession
Written by:
Ramesh Sharma
Tags - nursing noble profession, nursing profession, nursing as career, career option in nursing, staff nurse as career, gnm as career, career as anm, nclex exam for nursing, nursing graduate, diploma in nursing
Our Other Websites:
Get Khatushyamji Prasad at www.khatushyamjitemple.com
Buy Domain and Hosting www.domaininindia.com
Get English Learning Tips www.englishlearningtips.com
Buy Domain and Hosting www.domaininindia.com
Get English Learning Tips www.englishlearningtips.com
Read Healthcare and Pharma Articles www.pharmacytree.com
Our Social Media Presence :
Follow Us on Twitter www.twitter.com/pharmacytree
Follow Us on Facebook www.facebook.com/pharmacytree
Follow Us on Instagram www.instagram.com/pharmacytree
Subscribe Our Youtube Channel www.youtube.com/channel/UCZsgoKVwkBvbG9rCkmd_KYg
0 Comments